Tuesday, October 2, 2012

2oct बापू की जन्मतिथि

मोहनदास करमचंद गाँधी से महात्मा बनने तक का वो पल


वकील मोहनदास करमचंद गाँधी ने जब साउथ अफ्रीका की यात्रा पर थे और रेलवे के प्रथम श्रेणी के डब्बे में पूर्णतया  वैधानिक टिकिट से यात्रा  करने पर भी अंग्रेज द्वारा उन्हें डिब्बे से बाहर फिकवा दिया गया, ये कहकर कि एक काला  व्यक्ति याने अश्वेत इस तरह से प्रथम श्रेणी के डब्बे में यात्रा करने की हिम्मत भी नहीं कर सकता, नटाल के स्टेशन पर जब सामान समेत करमचंद गाँधी को लगभग फेंक दिया गया था तब उस समय के हिसाब से एक मामूली लगने वाला पल ही था। ये उस समय किसी को भी नहीं पता था कि ये मामूली पल इतिहास की धारा  को मोड़ने वाला पल साबित होगा . वास्तव में ये ही वो पल था जिसने मोहनदास करमचंद गाँधी को महात्मा बनाया।


इसी पल ने भारत की आजादी याने स्वतंत्रता की नींव राखी। ये ही वो पल था जब तय हो गया था कि आने वाले वर्षों में भारत  आजादी को हासिल करेगा और वो भी एक ऐसे हथियार से जिसका इस्तेमाल मोहनदास ने भारत से हज़ारों मील दूर एक विदेशी जमीं पर अपने प्रति किये गए भेदभाव के लिए वे उपयोग में लायेंगे। "अंहिसा" वो शस्त्र था जिसे अंग्रेजों के विरूद्ध पहले साउथ अफ्रीका में और बाद में भारत में इस्तेमाल किया गया और उस राज के सूरज को अस्त होने पर मजबूर किया जिसके विषय में कहा जाता था कि "ब्रिटिश राज" में सूरज कभी अस्त नहीं हुआ। वास्तव में ये विश्व के इतिहास में दर्ज वो पल था जिसने एक साधारण इंसान को महात्मा बना दिया, वास्तव में व्यक्ति प्रायः  साधारण ही हुआ  हैं पर जिन पलों में वे कोई निर्णय लेते हैं जो कि  आने वाले वक्त में इतिहास का निर्माण करने वाले साबित हुआ करते हैं। और ऐसे ही पल इन व्यक्तियों को महान बना दिया करते हैं।

                           वीणा सेठी