वर्तमान
में नारी जिसे अबल समझ जाता है. प्राचीनकाल में शक्तिरूपा थी, कलि,
चामुंडा, दुर्गा जसी देवी नारियों के लिए वेदों में स्तुति की गई है-
" या देवी सर्वभूतेषु कलिरुपेण संस्थिता .
नमस्तस्यै नमस्तस्यै,नमस्तस्यै नमो नमः ..
या देवी सर्वभूतेषु शक्तिरूपेण संस्थिता.
नमस्तस्यै नमस्तस्यै,नमस्तस्यै नमो नमः .."
वैदिक
काल में पुत्र को 'वीर' तथा पुत्री को 'वीरा' कहा जाता था. ये शब्द अपनी
संतानों को पराक्रमी और साहसी बनाने के संकेत देते हैं. प्राचीन भारत में
शिक्षा का पाठ्यक्रम ही इस प्रकार का होता था कि लड़का वीर और कन्या वीर
बनती थीं. अन्यथा नारी शक्तिरूपा किस प्रकार बन सकती थी.? इस प्रकार कि
शिक्षा के आभाव में बच्चे स्वतः ही पराक्रमी नहीं बन सकते...
संस्कृत
में नारी के लिए "पुरन्ध्री", पुरन्धि, " इन शब्दों का प्रयोग हुआ है. इस
शब्द कि व्युत्पति " पुरम धारयति " 'पुरम' का अर्थ होता है "नगर" , नगर को
धारण करने वाली या नगर कि रक्षा करने वाली. इस प्रकार होता था. इस शब्द का
मौलिक अर्थ है "नगर को धरना करने वाली", पर आज इसका अर्थ " घर को धारण करने
वाली" के अर्थ में लिया जाता है.पुर अथवा पुरी शब्द
महानग्रियों का वाचक है. ऐसी महानगरियों की रक्षा प्राचीनकाल में स्त्रियाँ
ही करती थीं. नारियों द्वारा किये जाने वाले इस कार्य से यह प्रतीत
होता है की प्राचीनकाल में देश या राज्य की रक्षा का कार्य स्त्रियाँ करती
रही होंगी. इस कल में यह पद्धति थी क़ी स्त्रियों को शस्त्रास्त विद्या
सिखाकर समय पड़ने पर सनापति के पद पर नियुक्त किया जाता था, तब स्त्रियाँ
आवाहन भी करती थीं की- " जो मुझे हराएगा मेरा पति होगा". महिषासुर ने भवानी
को अपनी पत्नी बनाने के लिए सन्देश भेजा, तो उसने महिषासुर से कहा की जो
मुझे युद्ध में पराजित करेगा वही मेरा पति होगा". यह सन्देश कितना
वीरतापूर्ण है. इसी विरकुमारी भवानी ने राक्षसों का भंयकर संहार किया. इस
तरह का वीरतापूर्ण उत्तर देने वाली नारियां अबला हो ही नहीं सकती.
जन्म
से "वीरा" तरुनावास्था में "पुरम-धी" विवाहिता होने पर "शक्ति" इस प्रकार
उनके नाम सार्थक होते थे.जब नेतृत्व करने में समर्थ होती थीं तब उनका नाम
"नारी" होता था.इन नामों के अर्थ पर दृष्टि डाली जाये तो यह प्रमाणित होता
है की तत्कालीन नारियां अबला नहीं थीं, वे सचमुच सबला और सकती थीं. जीवित
राष्ट्र में नारी का इसी प्रकार शक्ति रूपा होना आवश्यक है.