Thursday, September 28, 2017

ये सचमुच भारत है...

भारत यहाँ  बसता है...`

बचपन में पाठ्यक्रम में एक पाठ हमेशा से ही इस लाइन से शुरू होता था..." भारत गावों में बसता है,,,!!"

बात तो आज भी सत्य है क्योंकि भारत एक कृषि प्रधान देश है और गाँव इसकी आत्मा है, पर ठहरिये आज के भारत को अगर आप परखेंगे तो पाएंगे कि अब भारत और भी कई जगहों में भी बसता है..नहीं भरोसा तो इसकी एक बानगी आपके सामने है:-

#  किसी भी बैंक में जाएँ वहाँ आपको पेन बंधा मिलेगा.

#  मेडिकल स्टोर में केंची बंधी मिलेगी.

#  फोटो कॉपी वाले की दूकान पर चले जाएँ वो स्टेपलर को बाँध कर रखता है.

#  प्याऊ वाले के यहाँ पानी का गिलास बंधा बिलेगा.

#  कोर्ट में वकील कुर्सी बांध कर रखते हैं, नहीं भरोसा तो किसी भी हिंदी फिल्म या टी.वी. सीरियल में देखने को मिल जाएगा और असली कोर्ट में भी.

#  Elite class वाले अपने कुत्तों को बांध कर रखते हैं, ( शायद उन्हें भरोसा है कि उनका पाला कुत्ता कहीं उन्हें ही न काट ले.)

#  लड़कियां आज कल  जहाँ देखो मुंह पर कपड़ा बांधकर चलती हैं..क्यों...? पता नहीं...!

#  भारतीय पत्नी अपने पति को अपने पल्लू से बांधे रखती है, उसका बस नहीं चलता नहीं तो पूरे समय ही बांधे रखती.

#  नेता जनता को झूठे आश्वासनों से बांधे रखता है.

कहिये हैं न भारत यहाँ भी बसता, इन सबसे तो यही लग रहा है कि इस देश में भरोसा शब्द की अर्थी उठ चुकी है. 
कहिये हैं न अपना भारत महान.

Tuesday, September 26, 2017

इंसान का इंसान न हो पाना...

इंसान इंसान नहीं है तो फिर...


बहुत सोचा कि इंसान वास्तव में खुद के बारे में क्या सोचता होगा...? अगर मुझसे जानना चाहेंगे तो केवल इतना ही कह सकूंगी कि अभी तक इसका जवाब नहीं मिला. पर सच है कि हम खुद से पूछ के देखें तो पाएंगे कि अभी हम पूरी तरह से इंसान हैं ही कहाँ...?

अगर आप इस बात से सहमत नहीं हैं तो इसकी एक बानगी आप भी देखें.:-

# हमने मंदिर की मूर्तियों को  करोड़ों के गहनों से सजा कर रखा है...और मंदिर के बाहर नन्हे फैले हाथों पर एक रूपये का सिक्का रखने से गुरेज करते हैं.

#छप्पन भोग भगवान् के सामने रखते हैं पर बाहर बैठे भिखारी को कुछ भी खाने के लिए देने के बजाय दुत्कार कर भगा देते हैं.

# मजारों पर रेशमी हरी चादर चढ़ा देते हैं , पर माजर की दहलीज के बाहर बैठे भिखारी को ठण्ड से कंपकपाते देखकर भी हमारा दिल नहीं पसीजता.

# गुरुदारे या मंदिर को बनाने के लिए हम लाखों दान दे देते हैं पर किसी ठेलेवाले या काम वाली बाई के मेहनत के पैसे मार लेते हैं. और उसकी जगह दूसरी बाई ढूँढ लेते हैं.

# दूसरों का दर्द मिटने और मानवता की खातिर कोई सलीब पर चढ़ गया था पर कोई अपने ही  माता-पिता के लिए इंसानियत को शर्मसार करते देखा है.

# भगवान् के मंदिर में हो खरे घी की ज्योत जलती रही उसे ही प्रसव के बाद बेटी पैदा करने पर खाने से मोहताज कर मार दिया जाता है.

# अपने माता-पिता को उनकी जिंदगी में भरपेट खाने को नहीं दिया वही उनके आज उनके नाम के भंडारे लगाता है.

# समाज में अपना सिर ऊँचा करने के लिए बाप ने अपनी बेटी जिस हाथों में सौपीं थी आज वही हाथ उसके जिस्म को नीला कर रहे हैं.

#सड़क में दुर्घटना में कोई घायल था और लोग उसका video बनाकर facebook और whats upपर अपलोड कर रहे थे पर उसकी सहायता को कोई नहीं आया और वो दम तोड़ गया.

# उन्होंने प्यार कर गुनाह किया और honur killing के नाम पर उनसे जीने का हक़ छीन लिया.

# बेटी अपने पैरों पर खड़े होना चाहती थी पर उसे पर उम्र  बढ़ जाने और दहेज़ ज्यादा देने के नाम पर उसे ब्याह कर उनके सपनों के पंख क़तर दिये.

# घर की औलाद ही अपने ऐशोआराम के लिए चोरी करे और इल्जाम गरीब काम वाली बाई, चौकीदार पर लगा कर जेल भेज दिया जाता है.
# दहेज़ के नाम पर बहू को जिन्दा जला या मार डाला जाता है.

# हमारे होनहारों को ये पसंद नहीं आता कि कोई लड़की उन्हें अच्छी लगती है पर  यदि वो उसे मना कर दे तो उनकी मर्दानगी को ठेस लगती है और वो उस लड़की से किसी भी प्रकार से बदला लेने पर उतारू हो जाता है. अब इसके लिए उसे लड़की से Rape ही क्यों न करना पड़े या फिर उस पर Acid Attack ही क्यों न करना पड़े.


इतना सब हम करते हैं फिर भी हम इंसान कहलाते हैं...?
 
वीणा सेठी...................