भारत हमारे देश का नाम है, इसे हम जानते हैं. पर इस भारत के भीतर भी एक भारत है जिसे हम उसके बाह्य रूप से भी अधिक अच्छी तरह जानते तो हैं पर न जानने का दिखावा करते हैं. क्योंकि ये वो भारत है जो हमारी वास्तविकता है हमारी दुखती रग है, पर हम इस असलियत से शुतुरमुर्ग की मुंह चुराते फिर रहे हैं. ये हमारी पुरानी आदत है जिसे हम छोड़ना नहीं चाहते. मेरा यही प्रयास रहेगा की हम असलियत का सामना करना और अपने प्रति होने वाले अन्याय का प्रतिकार करना सीख जाएँ, यदि एक कदम भी कहीं उठा तो मै स्याम को धन्य मानूंगी.