Wednesday, August 10, 2011

भारतीय राजनीति...................


राजनीती में वंशवाद की अमरबेल...............



भारत में राजनीति एक ऐसा क्षेत्र है जहाँ पर आपको आजीविका के लिए  भटकना नहीं पड़ेगाये भी उस स्थिति में जबकी आप सक्रिय राजनीति में भाग ले रहे हों............. एक छोटे प्यादे याने छुटभैये नेता से लेकर विधायक, संसद और सरकार में मौजूद मंत्री-संत्री सबकी चांदी ही चांदी है यदि आप सरकार में मौजूद पार्टी के संत्री भी हैं तो जान लीजिये की पौ-बारहऔर यदि आप हरी हुई पार्टी में याने विपक्ष में हैं तो भी कोइओ बात नहीं आपके दिन फिर भी बुरे नहीं गुजरेंगे


भारत में राजनीतिक नेता होना बड़े कम की चीज है आप जिंदगी भर भूखे नहीं मरेंगेइसकी गारंटी कोई भी आंख बंद कर के दे सकता हैअगर आप किसी कद्दावर नेता के होते-सोते हैं तो मानना पड़ेगा कि आप सोने का चमच्चा मुंह में लेकर पैदा हुए हैंआजादी के ६३ वर्ष बाद भी भारत के राजनीतिक क्षितिज पर वंशवाद कि बेल अमरबेल कि तरह पनप रही है और भारतीय लोकतंत्र रूपी बटवृक्ष कि जीवन रेखा को निचोड़े दे रही हैभारतीय राजनीति में ये महत्वपूर्ण है कि आप किसके बेटे है या दामाद या बेटी, भतीजे हैंकेवल भारतीय राजनीति में महात्मा गाँधी अपवाद स्वरुप हैं जिन्होंने वंशवाद को प्रश्रय नही दिया अन्य नेताओं ने तो वंशवाद को जिस तरह से पल्लवित और पुष्पित किया है वह सबकी निगाहों के सामने हैजवाहर लाल नेहरु ने तो कोंग्रेसकि कमान ऐसी पकड़ी कि आज देश कि बागडोर उनके प्रपौत्रों के हाथों में पिछले ६३ सालों से है केवल बीच के १५-१८ वर्षों को छोड़करअब तो ऐसा लगता है कि भारतीय लोकतंत्र वेहरू-गाँधी परिवार कि व्यक्तिगत सम्पति कि तरह रह गया है गोया सवा अरब कि जनसँख्या वाले देश में आज तक एक भी योग्य प्रधानमंत्री पैदा नहीं हो सका

इस देश में नेता का पुत्र या पुत्री या फिर रिश्तेदार होना बड़े गर्व कि बात है.............. अब तो यही लगता है कि कांश हम भी...........................??????

1 comment:

  1. bilkul theek kaha

    lal background par lal akshar padhne men dikkat hoti hai ,ydi is snyojn men badlav ho ske to yah aakarshak lge

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