Wednesday, January 9, 2013

नापाकी पाक की

 
नापाकी  पाक की एक और नापाक बर्बर हरकत .........

आज प्रातः के समाचार पत्रों की मुख्य हेड लाइन काफी चौकाने वाली और दर्दनाक थी :- और समाचार कुछ इस तरह से था।

" पाकिस्तानी सैनिकों ने भारतीय सीमा के भीतर घुसकर गश्त लगा रहे भारतीय सेना के जवानों पर हमला कर कथित रूप से दो सैनिकों की गला काटकर नृशंस हत्या कर दी. पुंछ जिले में नियंत्रण रेखा से सटकर हुये इस हमले में पाकिस्तानी सैनिक करीब 100 मीटर तक भारतीय सीमा में घुस आये और गश्ती दल पर हमला कर दिया. उन्होंने दो लांस नायकों हेमराज और सुधाकर सिंह की हत्या करने के अलावा दो अन्य सैनिकों को घायल कर दिया. सूत्रों ने बताया कि इस क्रूर हमले के दौरान पाकिस्तानी सैनिकों ने कथित रूप से दो सैनिकों के सिर काट दिये और उनमें से एक का सिर अपने साथ लेकर चले गये."

नापाकी  पाक



पाकिस्तान की एक और नापाक और इंसानियत को शर्मिंदा कर देने वाली हरकत के लिए पकिस्तान शर्मिंदा हुआ हो या न हुआ हो  ... पर हम जानते हैं कि इंसानियत जरुर शर्मिंदा हुई है  ... और बड़े भाईजी (भारत के हुक्मरान )जैसा की पहले भी करते आयें हैं  ... बेशक हमारे दो जवानों की जान उनके लिए कीमती नहीं -छोटे भाई का प्यार ज्यादा कीमती है ... इसलिए हमारे "एस  ..." वाले बेचारे प्रधानमंत्री जी उन्हें माफ़ कर देने को उतावले हो रहे होंगे ... बेशक दिखाने  की लिए ही सही वे हलकी सी फटकार लगा कर अपने कर्तव्य की पूर्ति जरुर करना चाहेंगे। अब भाई क्या किया जाये ...?? वे भी तो बेचारे लाचार हैं अपने सहारे होते तो न जाने कभी का पाक को उसकी नापाक हरकतों के लिए उसकी पीठ ठोंक चुके होते  ... अंकल सैम की भी सुननी ही  पड़ेगी। अगर  उनसे पूछे बिना ही छोटे भाई को डांट दिया तो कहीं .... अंकल सैम नाराज होकर कान ही न खिंच दें ...??
अंकल सैम क्लास टीचर हैं और ये बात नापाक पकिस्तान याने छोटा भाई अक्सर भूल ही जाता है और वडे भ्राजी(भारत) कभी भी नहीं भूलते,  और अंकल सैम (अमेरिका) हमेशा छुटकू की गलती पर भी बड़के  भैया की ही कान खिंचाई करते हैं। अब मजाक मजाक में पाकि भाई ने हमारे दो जवानों को  बेदर्दी से जान से मार दिया तो भारती भाई ने जैसा की पाकि  भाई को पता था की सैम अंकल की डांट के डर  से भारती भाई याने बड़के भैया कुछ कह तो पाएंगे नहीं, उल्टा दूर से आँख दिखाकर ही  ये सोचकर संतोष कर लेंगे कि जाने दो ...!! छोटा भाई है।

वाकई इस पूरे घटनाक्रम में विश्व के सामने और कोई शर्मिंदा हुआ हो या न हुआ हो पर देश अवश्य शर्मिंदा हुआ है और हमारे सम्मान पर जैसा कि पकिस्तान अतीत में भी चोट पहुंचाता  आया है, एक बार उसने फिर से हमारी अस्मिता और अस्तित्व पर कुठाराघात किया है और हमारे प्रधानमंत्री जी किसी भी तरह के कठोर कदम उठाने से हिचकिचा रहे से दीखते हैं। उनके चहरे से टपकने वाली बेचारगी उनकी हालत का बयां खुद ही कर देती है। हमारे देश की लचर राजनीति और नेता जो कि  सियारों की तरह हुआ ....हुआ से अधिक कुछ नहीं कर सकते, उनसे देश सम्मान की उम्मीद करना तो बेवकूफी है और उस पर तुर्रा ये कि हमारी विदेश नीति ...?? माशाल्लाह है ...! अब इसे कोढ़ में खाज ही कहना होगा  ... आप क्या कहना चाहेंगे ...??

हमारी हालत उस गधे जैसी है जिसे हर कोई (हर देश) आते जाते ठोंक जाता है और जैसा गधा बेचारा कुछ नहीं कर पाता  ... हम भी बस खींसे निपोर कर रह जाते हैं, फिर ऐसे में अपनी झूठी इज्जत का क्या रोना रोना ...??
पर ये तो बहुत खराब बात है पकिस्तान जैसा नापाक मुल्क अपने नापाक इरादों को जब चाहे अंजाम देता रहता है और हम सिर्फ हेड मास्टर (अमेरिका)के आगे दरियाफ्त करते रह जाते हैं और हेड मास्टर अपने खिलाफ की गई पाकि की किसी भी नापाक हरकत की सजा ड्रोन के हमले के साथ देता है।

बात तो  पुरानी है पर फिर भी जब भी याद आये, घाव हरे कर ही जाती है- हमारे अंदर इतना भी नैतिक साहस नहीं बचा की दुनिया का सबसे बड़ा गणतंत्र और दुनिया का सबसे दूसरा  बड़ा मुल्क अपने सम्मान के बचाव में कुछ कर सके और अदना से मुल्क की हरकते हमारी खिल्ली उड़ाती नजर आती है। आज लगता है देश को वर्तमान प्रधानमंत्री के स्थान पर किसी लौह पुरुष की आवश्कता है जो अपने देश के सम्मान की रक्षा कर सके। न केवल रक्षा कर सके बल्कि हर बात का जवाब नैतिक साहस से दे सके। क्या आपको नहीं लगता कि सरदार वल्लभ भाई पटेल और सुभाष चन्द्र बोस को एक बार फिर से लौट आना चाहिए ...??? पर इस बात से मेरा तात्पर्य ये है की हममे से हरेक को बोस या पटेल बन जाना चाहिए फिर हमारे ये सियारी नेता हुआ हुआ करना छोड़कर देश के बारे में सोच पाएंगे।
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Sunday, January 6, 2013

एक परछाई से डर गया शासन....

एक परछाई से डर गया शासन....


दामिनी का जिस तरह से पाशविक दमन किया गया था उससे केवल उसका ही नहीं हर भारतीय नारी कि अस्मिता रेशा-रेशा होकर बिखर गई. आज दामिनी हमारे बीच नहीं है पर उसकी शहादत अपने पीछे ऐसे अनबुझे और अनसुलझे सवाल छोड़ गई है जिनके जवाब ढूंढने में हम सदियाँ न लगा दें या फिर जिस तरह से वो हमें जगा कर गई है वह हमारे लिए उनींदी आँखों का जागना न साबित हो ...उसके बलिदान से जो आंदोलन कि लहर देश में दौडी है कहीं वो ठंडी न पड़ जाए...?? अगर हम अब जाग गए हैं तो हमें जागते रहना चाहिए और सोने कि बात तो भूल ही जाएँ तो अच्छा है.

उसकी शहादत से तो सत्ता में बैठी सरकार जिस कदर डरी बैठी है वह उनकी इस शर्मनाक हरकत से ही पता चल जाता है, जब उसके सब अंगों ने काम करना बंद कर दिया था तब भी दिखावे के लिए सत्ता में बैठे सत्ताधीशों ने विशेष विमान द्वारा सिंगापुर इलाज के लिए भेज दिया (ऐसा मेनका गाँधी का दावा है) और वहाँ से उसकी मृतक देह को रात्रि के ३.३० बजे भारत लाया गया और उसकी आगवानी के लिए हमारे बेचारे प्रधानमंत्री को मैडम सोनिया गाँधी के साथ इतनी कड़कड़ाती ठण्ड में एअरपोर्ट जाना पड़ा... इस हाई प्रोफाइल व्यवहार के लिए इतना ही कहा जा सकता है कि उस लड़की कि परछाई से हमारी सरकार कितनी घबराई हुई है मानो सत्ता उसके हाथों से निकल ही गई है... और उसके अंतिम संस्कार कि रस्म भी आनन्-फानन में निबटा दी गई. जब पूरा भारत सो रहा था तब हमारी सरकार जो सालों से सो रही थी अपनी सत्ता बचने के चक्कर में आधी रात को ठीक उसी तरह से जाग गई थी जैसे १९४७ में भारत आधी रात को स्वतंत्रता हासिल करने के लिए जागा था. कितनी सक्रियता दिखाई हमारी सरकार ने और कोई मामला होता तो अब तक तो उसकी नींद कभी न खुलती. सच्च्चाई यह है कि दामिनी के बलिदान ने सोते हुए भारत को जगा दिया है और उसका असर भी सत्ता में बैठी कांग्रेस सरकार ने खुली आँखों से देखा है और वो जान गई है कि इस जागे हुए हिंदुस्तान को अब सुलाना आसान नहीं है.

खैर ...अब तो सरकार क्या आम आदमी भी जान गया है कि अब सोने का समय नहीं रहा, अब जाग गए हैं तो सोने का प्रश्न ही नहीं उठता. दामिनी ने हर भारतीय को बता दिया है कि नारी कि अस्मिता कोई सड़क पर फिका हुआ कागज का टुकड़ा नहीं जिसे कोई भी ठोकर मार कर चल दे. नारी  "देवी माँ ' मानने वाले इस देश को इस घटना ने पूरे विश्व में शर्मसार किया है। जागो भारत जागो।।।।।।।।। 

 कहीं ऐसा न हो कि  इस कडकडाती ठण्ड में सरकार के वायदे भी जम जाएँ और पूरे भारत याद रखें India नहीं भारत फिर से एक बार अपनी ही सरकार के हाथों ठगा जाये ......????


कागज


Friday, January 4, 2013

एक संवाद ...


 कहो सीता से     


फिर कोई राम क्यों आये धरा पर,


फिर कोई रावण क्यों हरे सीता,


स्वयं ही राम क्यों न बना जाये,


मारकर अपने भीतर के रावण को .


कहो सीता से वो भी धर काली का रूप,


संहार करे रावण-महिषासुर से दानवों का।
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ये सन्देश या चेतावनी उन तमाम दानवों के लिए जिनकी निगाहों में नारी का अस्तित्व केवल एक ‘सामान’से अधिक कुछ नहीं.