Monday, March 5, 2012

आम अठन्नी की ये दशा...........

एक अठन्नी थी............... एक अठन्नी है..........पर............. और अब कब तक ये रहेगी.....??



एक  गाना आज भी गाहे बगाहे सुना जा सकता है- "आमदनी अठन्नी खर्चा रुपैया .............." अठन्नी के अस्तित्व की दुहाई देता ये गाना, ये बताने के लिए काफी है की अभी भी अठन्नी का चलन है.........पर ये चलन किस हद तक दिखाई दे रहा है.ये सब जानते हैं.

भारत के रिज़र्व बैंक ने जून तक देश  में  अठन्नी की छोटी बहन चवन्नी को आम आदमी के हाथों से छीन लिया क्योंकि उसकी निगाह में इसका अब कोई मूल्य नहीं रहा. भला रहेगा भी कैसे? एक समय था जब कहा जाता था की चवन्नी में चार आने होते हैं तो लोग समझ जाते थे की एक आने में ६ पैसे होते हैं और इसमें क्या कुछ नहीं ख़रीदा जा सकता.पर धीरे धीरे रुपये के अवमूल्यन ने, रुपये की इस छोटी बहन का अस्तित्व खतरे में डाल दिया, और फिर एक दिन उसके निशान भी नहीं रहने दिए.


अब वही खतरा चवन्नी की बड़ी बहन और रुपये की छोटी बहन अठन्नी पर भी मंडराता हुआ दिखाई दे रहा है. इस बार ये रिज़र्व बैंक की और से नहीं वरन आम आदमी -मुख्यतः चिल्लर व्यापारियों ने ये हिमाकत की है. जबकि रिजर्व बैंक ने हिदायत दी है की लोग याने दुकानदार यदि अठन्नी लेने या देने  से मन करें  तो उनके खिलाफ शिकायत दर्ज कराएँ. पर बैंक के इस फरमान की परवाह दुकानदार इसलिए नहीं कर रहे हैं क्योंकि उन्हें मालूम है की आम आदमी शिकायत करने से रहा. अब तो हाल ये है की यदि आप किसी वस्तु का मूल्य में अठन्नी जुडी है तो समझ लीजिये कि वे आपसे अठन्नी का बड़ा भाई रूपया ही लेकर मानेंगे और यदि वो भी नहीं हुआ तो रुपये के बराबर कुछ और देकर निपटा देंगे. अब आप यदि ये कहे कि आप consumer -फोरम में 
शिकायत करेंगे तो वे बोल देते हैं कि जो करना है कर लो या फिर वे आपको सामान देने से इंकार कर देते हैं.
अब प्रश्न ये है कि क्या किया जाये. अठन्नी के अस्तित्व को बचने के लिए लोगों का सुझाव चाहिए.नहीं तो एक अठन्नी थी और अभी है आगे रहेगी................पता नहीं.इसे एक मुहीम का रूप दें और मेरा साथ दे...........आपके सुझाव किपाया इसी पोस्ट के निचे दर्ज कराएँ तो बड़ी मेहरबानी होगी.



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