गुजरते साल २०१२ कि
बिदाई बेला और आने वाले साल २०१३ कि भोर में...
साल २०१२ के गुजरने
में केवल कुछ २४-२५ मिनिट का समय ही बाकि है. ये साल भी गुजर जाने को है पर ये साल
का आखरी पल बीते सालों से कुछ क्या बहुत कुछ अलग है, साल के इस पल के कुछ दिन पहले
लगता है भारत के आने वाले कल कि सामाजिक और राजनीतिक परिधृश्य को बदल देने वाला
होगा. किसी मासूम कि शहादत साल के गुजरते गुजरते सदियों से सोये हुए भारत को झकझोर
कर जगा गई और भारत के लोगों को ये जिम्मेदारी दे गई कि वे नारी कि एक स्वतंत्र
व्यक्ति के रूप में सम्मान करें और उसके सम्मान कि रक्षा भी करें. आज गुजरते हुए साल २०१२ कि बिदाई बेला में और आते हुए साल २०१३
कि पास आती भोर में सम्पूर्ण भारत के वासी ये संकल्प ले कि वे हर व्यक्ति के
आत्मसम्मान के साथ जीने का हक दे किसी का ये हक किसी से न छिना जाये.
क्या आपको नहीं लगता कि 'दामिनी' की शहादत किसी भी तरह से जाया नहीं जानी चाहिए। क्योंकि अगर ऐसा हो गया तो आने वाली नस्लों को हम शर्मिंदा करेंगे और नारी को सम्मान से सिर उठा के जीने का मौका नहीं दे पाएंगे। हमें यह नहीं भूलना चाहिए की हम अपने वैचारिक दोगलेपन में नारी को 'देवी' तो माने बैठे हैं पर उसे इंसान मानने से आज भी कतराते हैं, हर घर में नारी अस्तित्वमान है और उसका सम्मान और उसकी मर्यादा की रक्षा करना हर नागरिक का कर्तव्य है, इसकी शुरुआत घर से ही हो तभी हम वास्तविक में भारत का सम्मान कर पाएंगे।
क्या आपको नहीं लगता कि 'दामिनी' की शहादत किसी भी तरह से जाया नहीं जानी चाहिए। क्योंकि अगर ऐसा हो गया तो आने वाली नस्लों को हम शर्मिंदा करेंगे और नारी को सम्मान से सिर उठा के जीने का मौका नहीं दे पाएंगे। हमें यह नहीं भूलना चाहिए की हम अपने वैचारिक दोगलेपन में नारी को 'देवी' तो माने बैठे हैं पर उसे इंसान मानने से आज भी कतराते हैं, हर घर में नारी अस्तित्वमान है और उसका सम्मान और उसकी मर्यादा की रक्षा करना हर नागरिक का कर्तव्य है, इसकी शुरुआत घर से ही हो तभी हम वास्तविक में भारत का सम्मान कर पाएंगे।