भ्रष्टाचार के विरुद्ध एक लड़ाई में हम कहाँ हैं .............????
अन्ना हजारे और भ्रष्टाचार को जड़ के समूल नष्ट कने का संकल्प एक दूसरे का पर्याय बन चुके हैं और हर भारतीय ये आशा करने लगा है कि वे इस देश से भ्रष्टाचार और दूसरी बुराइयों को जड़ से उखाड़ फेकेंगे और एक स्वच्छ भारत को लोगों के सामने पेश करेंगे .......................पर क्या आपने या मैंने ये सोचा है कि अन्ना हजारे जी ने जिस बात पर लोगों को जगाया है, वह हमारे भीतर इस कदर अपनी जड़े जमा चुकी हैं कि उसके लिए हम में से हर एक को स्वयं के लिए अन्ना हजारे बनना होगा.
क्या हर भारतीय ये दावा कर सकता है कि वह भ्रष्ट नहीं है..............??? ये सवाल हर भारतीय को खुद से करना चाहिए फिर उसे अपने सवाल का सही जवाब मिल जायेगा....................सच्चाई यही है कि हर इन्सान किसी न किसी रूप में और किसी न किसी हद तक थोड़ा या बहुत भ्रष्ट है इसलिए ये मानना कि अन्ना हजारे हमारे लिए इस देश से भ्रष्टाचार को उखाड़ फेकेंगे ज्यादती होगी, अगर वे हमारे लिए आन्दोलन कर रहे हैं तो बदले में वे भी तो किसी बात का हमसे आश्वासन चाहेंगे.....................ये बात सौ टका सच है कि दुनिया में कोई भी बात बिना लेन-देन के नहीं हो सकती........और यदि बदले में अन्ना जी हमसे ये चाहेंगे कि हम स्वयं को हर तरह के भ्रष्ट आचरण से रहित करें ................? तो क्या आप या मै ये वाकई कर पायेंगे........................?????
सो ये मन के चलना चाहिए कि एक ७० साला वृद्ध बिना किसी स्वार्थ और अपना कोई हित साद्धे सवा करोड़ भारतीयों के लिए एक नए भारत का सपना लेकर आया है और अपने लोगों को हर तरह कि बुराइयों से मुक्त भारत देना चाहता है तो उसका साथ देना चाहिए न कि उसके इरादों को शक कि निगाहों से देखना चाहिए और उसके आन्दोलन को असफल करने कि कुत्सित चेष्टा करनी चाहिए ..........बेशक उनका रवैया और आन्दोलन का ढंग लोगों को तानाशाह सा लग सकता है ..पर आपको नहीं लगता कि वे काफी हद तक सही हैं .................एक देश और समाज जिसकी व्यवस्था हर स्तर पर साद-गल चुकी है और उसका पूरी तरह से psotmortam जरुरी हो गया है तो उनका ये तरीका ;बेहद कारगर साबित होगा..................
पर....पर...............pahle ham स्वयं ko bhrashtachar se mukta to kar len..............
अन्ना हजारे और भ्रष्टाचार को जड़ के समूल नष्ट कने का संकल्प एक दूसरे का पर्याय बन चुके हैं और हर भारतीय ये आशा करने लगा है कि वे इस देश से भ्रष्टाचार और दूसरी बुराइयों को जड़ से उखाड़ फेकेंगे और एक स्वच्छ भारत को लोगों के सामने पेश करेंगे .......................पर क्या आपने या मैंने ये सोचा है कि अन्ना हजारे जी ने जिस बात पर लोगों को जगाया है, वह हमारे भीतर इस कदर अपनी जड़े जमा चुकी हैं कि उसके लिए हम में से हर एक को स्वयं के लिए अन्ना हजारे बनना होगा.
क्या हर भारतीय ये दावा कर सकता है कि वह भ्रष्ट नहीं है..............??? ये सवाल हर भारतीय को खुद से करना चाहिए फिर उसे अपने सवाल का सही जवाब मिल जायेगा....................सच्चाई यही है कि हर इन्सान किसी न किसी रूप में और किसी न किसी हद तक थोड़ा या बहुत भ्रष्ट है इसलिए ये मानना कि अन्ना हजारे हमारे लिए इस देश से भ्रष्टाचार को उखाड़ फेकेंगे ज्यादती होगी, अगर वे हमारे लिए आन्दोलन कर रहे हैं तो बदले में वे भी तो किसी बात का हमसे आश्वासन चाहेंगे.....................ये बात सौ टका सच है कि दुनिया में कोई भी बात बिना लेन-देन के नहीं हो सकती........और यदि बदले में अन्ना जी हमसे ये चाहेंगे कि हम स्वयं को हर तरह के भ्रष्ट आचरण से रहित करें ................? तो क्या आप या मै ये वाकई कर पायेंगे........................?????
सो ये मन के चलना चाहिए कि एक ७० साला वृद्ध बिना किसी स्वार्थ और अपना कोई हित साद्धे सवा करोड़ भारतीयों के लिए एक नए भारत का सपना लेकर आया है और अपने लोगों को हर तरह कि बुराइयों से मुक्त भारत देना चाहता है तो उसका साथ देना चाहिए न कि उसके इरादों को शक कि निगाहों से देखना चाहिए और उसके आन्दोलन को असफल करने कि कुत्सित चेष्टा करनी चाहिए ..........बेशक उनका रवैया और आन्दोलन का ढंग लोगों को तानाशाह सा लग सकता है ..पर आपको नहीं लगता कि वे काफी हद तक सही हैं .................एक देश और समाज जिसकी व्यवस्था हर स्तर पर साद-गल चुकी है और उसका पूरी तरह से psotmortam जरुरी हो गया है तो उनका ये तरीका ;बेहद कारगर साबित होगा..................
पर....पर...............pahle ham स्वयं ko bhrashtachar se mukta to kar len..............
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