Friday, January 4, 2013

एक संवाद ...


 कहो सीता से     


फिर कोई राम क्यों आये धरा पर,


फिर कोई रावण क्यों हरे सीता,


स्वयं ही राम क्यों न बना जाये,


मारकर अपने भीतर के रावण को .


कहो सीता से वो भी धर काली का रूप,


संहार करे रावण-महिषासुर से दानवों का।
            -----------------------------------------वीणा सेठी ---------------
ये सन्देश या चेतावनी उन तमाम दानवों के लिए जिनकी निगाहों में नारी का अस्तित्व केवल एक ‘सामान’से अधिक कुछ नहीं.
  

3 comments:

  1. बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
    आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल रविवार (06-01-2013) के चर्चा मंच-1116 (जनवरी की ठण्ड) पर भी होगी!
    --
    कभी-कभी मैं सोचता हूँ कि चर्चा में स्थान पाने वाले ब्लॉगर्स को मैं सूचना क्यों भेजता हूँ कि उनकी प्रविष्टि की चर्चा चर्चा मंच पर है। लेकिन तभी अन्तर्मन से आवाज आती है कि मैं जो कुछ कर रहा हूँ वह सही कर रहा हूँ। क्योंकि इसका एक कारण तो यह है कि इससे लिंक सत्यापित हो जाते हैं और दूसरा कारण यह है कि किसी पत्रिका या साइट पर यदि किसी का लिंक लिया जाता है उसको सूचित करना व्यवस्थापक का कर्तव्य होता है।
    सादर...!
    नववर्ष की मंगलकामनाओं के साथ-
    सूचनार्थ!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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