पहले भाग में हमने चर्चा की थी कि इस धंधे में योग्यता का मापदंड क्या चाहिए।चाहिए। अब इस भाग में हम चर्चा करेंगे कि राजनिति और धर्म का धंधा कैसे शुरू किया जाता है और उसे कैसे फायदेमंद बनाया जाता है।
राजनीति के धंधे को कैसे हो अपना .........??
# यदि आप किसी बड़े क़द्दावर नेता के बेटे,भाई,बहिन,पत्नी,याने खून की रिश्ता है तो तो आप बड़े ही भाग्यशाली हैं. क्योंकि आपका भविष्य तो पैदा होते ही तयशुदा पाया जाता है..और जब आप राजनीति के वातावरण में बचपन से ही सांस लेने लगते हैं,तो उसका कीड़ा आपको बचपन में ही काट चुका होता है, और धीरे-धीरे वो आपकी रगों में गहरे उतर चुका होता है। अगर ये कीड़ा आपको नियमित अन्तराल से न काटे तो जिरासिम आपके खून में कम हो जायेंगे और इसका अनिमिक होना आप समझ सकते हैं क्या होगा।
# अब यदि आप किसी भाई- भतीजावाद की परंपरा हिस्सा नहीं है तो कोई बात नहीं,लपककर किसी छुटभैये नेता को पकड़ लीजिये ओर यदि थोड़ी ओर योग्यता है ( पहले
उल्लिखित किया जा चुका है...)तो किसी कद्दावर नेता के चप्पल या जूते हो तो
उसे तुरन्त अपने अधिकार में कर लें,अजमाया हुआ नुस्खा है , आप भी अवश्य
आजमायें. और यदि आप नेताजी के खास चम्मचे न बन जाएँ तो हमारा नाम बदल दीजियेगा.
हमने आपको राजनीति के फायदेमंद धंधे के बारे में बता दिया आगे आप खुद ही हमसे अधिक जानने लगे हैं...............
(बस अभी तो इतना ही अगली कड़ी में धर्म के धंधे के विषय में विस्तार से चर्चा.............)
# ये बात तो हो गई राजनीति के मैनडोर से घुसने की, अब इस धंधे की पहली सीधी
तो आप चढ़ चुके ही हैं पर इतना जान लीजिये कि इस पहली पायदान पर इतने लोगों
के पैर रखे होते हैं कि किसी भी समय पाँव उखाड़ने का खतरा बराबर बना रहता
है, तो आप यदि किसी नमी नेताजी का जूता या चप्पल कब्जाए चुके हैं तो अगला
काम करिए कि उनका पानदान ओर पीकदान दोनों पर अपना जन्मसिद्ध अधिकार समझकर
अपने दोनों बाजुओं में थाम लें और नेताजी के दायें-बाएं हमेशा झूलते रहे और
दोनों 'दान' उनके आँख के इशारे पर आगे-पीछे करते रहें जब भी उन्हें जरुरत
पड़े. अगर आप ऐसा कर सके तो समझिये कि आप पहली पायदान से सीधे ३-४ तो क्या
और उपरली पायदानों पर अपना सील और ठप्पा लगवा चुके हैं. और नेताजी के साथ
आपका बिलकुल फेविकोल कि तरह का मजबूत गठ-जोड़ हो चूका है जो किसी के तोड़ने
पर भी नहीं टूटेगा.
पर..रुकिए, आपको एक राज कि बात और जान लें, 'भाभीजी' को कभी न भूलें बेशक बहनजी को भूल जाएँ.........चलेगा, नेताजी कि पत्नी याने 'आपकी भाभीजी' वो मास्टर की है जिससे नेताजी तक जाने का हर ताला खुलता है.भाभीजी का किचिन हमेशा गुलज़ार रहे, इसका ध्यान आपको रखना होगा. नेताजी के बच्चों के इशारे पर बंदर की तरह आपको नाचना आना चाहिए. फिर देखिये निर्मल बाबा की तरह नेताजी की कृपा आप पर भी आनी शुरू हो जाएगी.
यही वह समय है जब आपको अपनी तपस्या का प्रसाद मिलना शुरू हो जाता है, इसका संकेत हम आपको बताते हैं. जब आपके अधीन भी छुटपुट चम्मचों का जमघट लग्न शुरू हो जाये तो जान लीजिये की कृपा आनी शुरू हो चुकी है. और ये इस बात का स्पष्ट संकेत है की अब आप अपनी दूकान का विस्तार कर सकते हैं. यही वह समय है जब आपके धंधे में बिना लगत का लाभ आना शुरू हो जायेगा बस आपको एक कम करना बाकि रह गया है, अब आप अपने चम्मचों के द्वारा गरीब-गुर्ब्बत लोगों को फ़साने का काम शुरू कर सकते हैं----अब आपको क्या समझाएं आप खुद ही समझदार हैं, खैर हम फिर भी इशारा पटक ही देते हैं, ऐसे लोगों को नौकरी दिलवाने, ठेका दिलवाने का झांसा देना शुरू तो कीजिये फिर देखिये.हमने आपको राजनीति के फायदेमंद धंधे के बारे में बता दिया आगे आप खुद ही हमसे अधिक जानने लगे हैं...............
(बस अभी तो इतना ही अगली कड़ी में धर्म के धंधे के विषय में विस्तार से चर्चा.............)
बहुत बढ़िया प्रस्तुति!
ReplyDeleteघूम-घूमकर देखिए, अपना चर्चा मंच ।
लिंक आपका है यहीं, कोई नहीं प्रपंच।।
आपकी इस प्रविष्टी की चर्चा कल शनिवार के चर्चा मंच पर भी होगी!
सूचनार्थ!
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डॉ. रूपचंद्र शास्त्री "मयंक"
टनकपुर रोड, खटीमा,
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Website - http://uchcharan.blogspot.com/
बिलकुल सही लिखा है पूर्णतः सहमत हूँ यही तो हो रहा है आजकल बहुत अच्छा लगा आपके ब्लॉग पर आकर मिलते रहेंगे
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