कैसा चाहिए भारत...................?
भारत विभिन्नताओं का देश है, ' अनेकता में एकता ' का नारा आज इसकी पहचान बन चुका है. दुनिया की तीसरी बड़ी उभरती हुई शक्ति के रूप में अपना एक मुकाम हासिल करता जा रहा है. ये तस्वीर का एक पहलू है पर दूसरा पहलू भी वाकई ऐसा ही है ..........................
आकड़ों की दृष्टी से भारत एक स्वयम्भू संपन्न राष्ट्र हो रहा है , पर क्या ये वो भारत है जो हर भारतीय चाहता है. भारत की ये सम्पनता दुनिया को दिखाई दे रही है, पर कहते है ना कि चिराग तले हमेशा अँधेरा होता है ऐसा ही कुछ इस ’ Shine India ‘ कि दूसरी तस्वीर भी है जो पिछले 60 सालों में भी नहीं बदली. आज हर भारतीय के जेहन में ये सवाल है कि कैसा भारत वे चाहते हैं………..??
भ्रष्टाचार से युक्त नहीं मुक्त भारत हो………… भ्रष्टाचार के
मामले में भारत आज विश्व मंच कि 8 वीं पायदान पर खड़ा है और हर भारतीय इससे
इतना त्रस्त हो चुका है कि उसे इस भ्रष्ट वातावरण में साँस लेना दूभर हो
रहा है. पर मुश्किल यह है कि हम भ्रष्टाचार को कोसते अवश्य हैं पर उसके
निदान के उपाय कि बात आती है तो मौन धारण कर लेते हैं.
भाई-भतीजावाद से युक्त नहीं मुक्त भारत हो………………… ये समस्या इतनी गहरी जड़ें जम चुकी है कि इसका निदान आसान नहीं. भारत के राजनितिक गलियारों से लेकर घर कि दहलीज तक भाई-भतीजावाद का परचम पूरे वेग से फहरा रहा है.किसी भी राजनितिक पार्टी में किसी नेता का रिश्तेदार होना राजनीति के व्यवसाय में एक अतिरिक्त योग्यता है जो आपके जीवन भर के भरण-पोषण का स्थाई इंतजाम कर देता है और अगर आप किसी भी नेता के पुत्र या पुत्री हैं तो समझिये की कुर्सी ताउम्र है आपकी. इस तरह के वातावरण ने भारत की राजनीति के तालाब को इतना गन्दला कर दिया है की उसे पारदर्शी करने में पीढियां निकल जाएँगी , वस्तुतः राजनीति में इतना नैतिक पतन हो चुका है की आम इन्सान इससे दूर रहना चाहता है, पर इस तरह का भारत आम इन्सान को नहीं चाहिए , पर इसे बदल भी वही सकता है.
भाई-भतीजावाद से युक्त नहीं मुक्त भारत हो………………… ये समस्या इतनी गहरी जड़ें जम चुकी है कि इसका निदान आसान नहीं. भारत के राजनितिक गलियारों से लेकर घर कि दहलीज तक भाई-भतीजावाद का परचम पूरे वेग से फहरा रहा है.किसी भी राजनितिक पार्टी में किसी नेता का रिश्तेदार होना राजनीति के व्यवसाय में एक अतिरिक्त योग्यता है जो आपके जीवन भर के भरण-पोषण का स्थाई इंतजाम कर देता है और अगर आप किसी भी नेता के पुत्र या पुत्री हैं तो समझिये की कुर्सी ताउम्र है आपकी. इस तरह के वातावरण ने भारत की राजनीति के तालाब को इतना गन्दला कर दिया है की उसे पारदर्शी करने में पीढियां निकल जाएँगी , वस्तुतः राजनीति में इतना नैतिक पतन हो चुका है की आम इन्सान इससे दूर रहना चाहता है, पर इस तरह का भारत आम इन्सान को नहीं चाहिए , पर इसे बदल भी वही सकता है.
नौकरशाही से युक्त नहीं मुक्त हो भारत…..………………… नौकरशाही भारत
को ब्रिटिश राज की देन है, और इससे हर भारतीय पीड़ित है. यह भारत की हर तरह
की व्यवस्था को दीमक की तरह चाट रही है . भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी
नौकरशाही की छाया में फलफूल रही है. और इतने गहरे उतर चुकी है की इसको जड़
से उखाड़ फेकने के लिए तो एक भागीरथी भी कम पड़ेंगे.
छुआछुत व जातिवाद ये युक्त नहीं मुक्त भारत हो ………………. छुआछुत व जातिवाद हजारों सालों का फैला कोढ़ है जिसका इलाज बहुत जरुरी है. ये बीमारी समाज तथा देश की प्रगति में एक बहुत बड़ा रोड़ा है. हमारी सोच में ये विकृति इतने गहरे पैठ चुकी है की इसे हम स्वयं ही दूर कर सकते हैं. इससे मुक्त भारत ही हमारे सुख की गारंटी है.
पाखंड ये युक्त नहीं मुक्त भारत हो….……….. धर्म में पाखंड इतना अधिक व गहरा है की आम इन्सान अपनी सोच को गिरवी रख देता है और धर्म में फैले अनाचार को भी धर्म का हिस्सा मानकर उसका पालन पुर जोश से करता है, ये नैतिक पतन की परकाष्ठा है और इससे आम इन्सान का ही नुकसान हो रहा है. जिस दिन आम आदमी ये समझ जायेगा की धर्म के ठेकेदार उसे उल्लू बनाकर अपना उल्लू सीधा कर रहे है वह उस पाखंड से मुक्त हो जायेगा और यही असली भारत होगा.
छुआछुत व जातिवाद ये युक्त नहीं मुक्त भारत हो ………………. छुआछुत व जातिवाद हजारों सालों का फैला कोढ़ है जिसका इलाज बहुत जरुरी है. ये बीमारी समाज तथा देश की प्रगति में एक बहुत बड़ा रोड़ा है. हमारी सोच में ये विकृति इतने गहरे पैठ चुकी है की इसे हम स्वयं ही दूर कर सकते हैं. इससे मुक्त भारत ही हमारे सुख की गारंटी है.
पाखंड ये युक्त नहीं मुक्त भारत हो….……….. धर्म में पाखंड इतना अधिक व गहरा है की आम इन्सान अपनी सोच को गिरवी रख देता है और धर्म में फैले अनाचार को भी धर्म का हिस्सा मानकर उसका पालन पुर जोश से करता है, ये नैतिक पतन की परकाष्ठा है और इससे आम इन्सान का ही नुकसान हो रहा है. जिस दिन आम आदमी ये समझ जायेगा की धर्म के ठेकेदार उसे उल्लू बनाकर अपना उल्लू सीधा कर रहे है वह उस पाखंड से मुक्त हो जायेगा और यही असली भारत होगा.
अज्ञानता से युक्त नहीं मुक्त हो भारत…………..
भारत की 40 % जनता आज भी अज्ञानता के अंधकार में जीवनयापन कर रही
है.अज्ञानता केवल शिक्षा की ही नहीं है , शिक्षितों में भी अज्ञानता की
मात्रा भरपूर है.ज्ञान का प्रकाश केवल शिक्षा से नहीं आता विचारों का
परिष्कृत होना भी आवश्यक है. अतः अन्धविश्वास से मुक्ति ही अज्ञानता से
मुक्ति पर्व होगा.
घोटालों से युक्त नहीं मुक्त भारत हो ……………………… आज भारत घोटालों
के लिए बहुत ही उपयुक्त भूमि है. जमीं की घोटाले, शक्कर के घोटाले,
गरीबों को बाटें जाने वाले अनाज के घोटाले, देश के रक्षा के लिए हथियारों
में भी घोटाले गिनने बैठेंगे तो एक लम्बी फेहरिस्त होगी घोटालों की. पर लाख
टके का सवाल है की क्या वास्तव में हम ऐसा भारत चाहते हैं? नहीं………………..तो
हमें स्वयं चेष्टा करनी होगी इन घोटालों को रोकने की.
मिलावट से युक्त नहीं मुक्त भारत हो …………………….. मिलावट खाद्यानों, घी, दूध, सब्जियों याने हर चीज में मिलावट और तो और भारत के वायुमंडल में इतनी अधिक मिलावट हो चुकी है की हमारी सोच भी मिलावट से भरपूर हो चुकी है नही तो कोई कारण नहीं की हमारे चारों ओर का माहौल जो इतना अधिक प्रदूषित हो चूका है उसका प्रभाव हम पर न पड़ रहा हो?
इन सब तरह की मिलावट का हमें विरोध करना ही होगा ओर उन्हें रोकना भी होगा अन्यथा इसका असर आने वाली पीढ़ियों पर साफ़ दिखाई देगा .
मिलावट से युक्त नहीं मुक्त भारत हो …………………….. मिलावट खाद्यानों, घी, दूध, सब्जियों याने हर चीज में मिलावट और तो और भारत के वायुमंडल में इतनी अधिक मिलावट हो चुकी है की हमारी सोच भी मिलावट से भरपूर हो चुकी है नही तो कोई कारण नहीं की हमारे चारों ओर का माहौल जो इतना अधिक प्रदूषित हो चूका है उसका प्रभाव हम पर न पड़ रहा हो?
इन सब तरह की मिलावट का हमें विरोध करना ही होगा ओर उन्हें रोकना भी होगा अन्यथा इसका असर आने वाली पीढ़ियों पर साफ़ दिखाई देगा .
अपराध एवं आतंक से युक्त नहीं मुक्त हो भारत….………….. राजनीती और अपराध का भारत में चोली-दामन का साथ है. कानून तोड़ने में राजनेताओं का कोई सानी नहीं. कुकुरमुतों की तरह राजनेताओं की पैदाइश इस देश में जरी है और उसके साथ ही अपराध का ग्राफ उपर की ओर जा रहा है. अपराध इसलिए भी पनप रहा है क्योंकि रक्षक ही भक्षक बन गया है, इस देश की पुलिस ही अपराध को संरक्षण देती है और निरपराध को जेल में डालने में गुरेज नहीं करती, जिसका परिणाम ये हो रहा है कि आम आदमी का कानून से विश्वास उठ गया है. केवल यहीं तक बात रहती तो कोई बात नहीं थी,अब देश आतंकवाद से भी जूझ रहा है. और आतंक का जो चेहरा सीमा पार से प्रायोजित हो रहा है वह काफी भयावह है. इसका जल्दी निदान भारत के हित में होगा अन्यथा देश जिस तरह से अभी समस्याओं से जूझ रहा है उसमे आतंकवाद का तड़का काफी विध्वंसक साबित होगा. अभी देश की कोई भी सीमा सुरक्षित नहीं है इसके साथ ही देश में आन्तरिक समस्याओं का भी अम्बार लगा है – नक्सलवाद, माओवाद , आतंकवाद जैस परशानियाँ और राज्यों के बंटवारे की समस्याएं मुंह बांये खड़ी हैं.
अब जरुरत इस बात की है की हम कैसा भारत चाहते हैं यह हमारे हाथ में है. अनुशासन वह भी स्वयं पर बहुत जरुरी है तभी हम जिसे 'भारत' कहते हैं पा सकते हैं.
बहुत सुन्दर...स्वतन्त्रतादिवस की पूर्व संध्या पर बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
ReplyDeletedhanyavad, aajadi ke jashna ki shubhkamnayen.
ReplyDeleteपूरी ब्लॉग बुलेटिन टीम और आप सब की ओर से ६५ वे स्वतंत्रता दिवस से पहले उषा मेहता जी और उन के खुफिया कांग्रेस रेडियो को याद करते हुये आज की ब्लॉग बुलेटिन लगाई है जिस मे शामिल है आपकी यह पोस्ट भी ...पाठक आपकी पोस्टों तक पहुंचें और आप उनकी पोस्टों तक, यही उद्देश्य है हमारा, उम्मीद है आपको निराशा नहीं होगी, टिप्पणी पर क्लिक करें और देखें … धन्यवाद !
ReplyDeleteब्लॉग बुलेटिन अपने अर्थ को सार्थक करता है, मेरे पोस्ट " आजादी के जश्न में कैसा हो भारत" को शामिल करने के लिए धन्यवाद.
Deleteशुभ विचार । आपको स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभ कामनाएँ ।
ReplyDeleteजी बहुत सही कहा आपने,,,
ReplyDeleteआखिर "क्या भारत का नाम रोशन करने की जिम्मेदारी सिर्फ सचिन तेंदुलकर ने ले रखी हैं" हम जैसा सोचेंगे वैसा ही भारत मिलेगा |
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ ।
यहाँ भी पधारे-
"मन के कोने से..."
आभार..!
धन्यवाद , वास्तव में हम कुछ पल के लिए भी रूककर सोचे तो हम अपना कुछ योगदान तो दे ही सकते हैं , अगर हर भारतीय थोड़ी सी शुरुआत ही भर कर दे तो हमें साफ़ सुथरा भारत एक दिन मिल ही जायेगा.
Deleteस्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ!
ReplyDeleteजय हिंद!
सार्थक भाव लिए पोस्ट..
ReplyDeleteस्वतंत्रता दिवस की शुभकामनाये...
...wonderful! Very nice!!
ReplyDeleteबहुत सार्थक आलेख..
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