दीया उम्मीद का
इस प्रछन्न अन्धकार में;
इक दीया मै
उम्मीद का जलाताहूँ,
और
वहाँ रख देता हूँ;
जहाँ
अँधेरा अभी भी बाकि है,
फिर
इक और दीया
इस उम्मीद से
रौशन करता हूँ:
कोई और भी
इसी तरह से
इक और दिया जलाएगा ;
और
जहाँ-जहाँ तिमिर पसरा होगा,
वहाँ-वहाँ से वह निकल जायेगा।
और ...और
दीयों की इस श्रृंखला में
पूरा देश दीपोत्सव का त्यौहार,
दीपावली हर्ष और आनंद से मनायेगा।
दीपावली हर्ष और आनंद से मनायेगा।
आपको भी रौशनी और खुशियों के पर्व "दीपावली" की ढेरों मुबारकबाद!
ReplyDeleteदीप पर्व की अनंत शुभकामनाएं
ReplyDeleteआपकी पोस्ट आज चर्चा मंच पर है
ReplyDeleteआपकी पोस्ट आज चर्चा मंच पर है
ReplyDeleteअत्यंत भाव पूर्ण सुन्दर प्रस्तुति ...दीप पर्व पर हार्दिक शुभ कामनाएं
ReplyDeleteपर्वों की है श्रृंखला, करो प्रें व्यवहार।
ReplyDeleteहँसी-खुशी से सभी को, देना कुछ उपहार।।
दीप जलाएं अंतर्मन में
ReplyDeleteदुर्गुण-तिमिर हटायें
पञ्च दिवसीय दीवाली
के पंचम दिन की
हार्दिक शुभकामनाएं
.......सुन्दर रचना
vakai harek ke hridaya men gyan ka prakash aalokit ho tabhi dipawali hogi.
Deleteबहुत ही सुन्दर शब्द रचना ......अनुपम प्रस्तुति ।
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