भारतीय
चिंतन
भारतीय चिंतन वास्तव में इंसान की चेतना से जुड़ा है. किया लोग चेतना को मन से जोड़करदेखते है जबकि मन आवारा बदल की तरह केवल डोलना जानता और वह किसी भी तरह के बंधन का हामी नहीं होता,है जबकि चेतना स्वतः नियंत्रित होती है. जब हम मन को साधना सीख जाते हैं तो हमारी चेतना जागृत होती है और फिर विचारों का प्रवाह हमारे भीतर तरंगित होने लगता है और विचार हमारी चेतना से जुड़कर मनन की क्रिया में जाते हैं, फिर मनन के बाद यही विचार विश्लेषण करने के पश्चात् आध्यात्म का रूप लेते हैं.
वीणा सेठी
बहुत सुन्दर
ReplyDeleteसुन्दर आलेख के लिए बधाई
धन्यवाद...!
ReplyDeleteBlogging is the new poetry. I find it wonderful and amazing in many ways.
ReplyDeleteHey keep posting such good and meaningful articles.
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