भारत हमारे देश का नाम है, इसे हम जानते हैं. पर इस भारत के भीतर भी एक भारत है जिसे हम उसके बाह्य रूप से भी अधिक अच्छी तरह जानते तो हैं पर न जानने का दिखावा करते हैं. क्योंकि ये वो भारत है जो हमारी वास्तविकता है हमारी दुखती रग है, पर हम इस असलियत से शुतुरमुर्ग की मुंह चुराते फिर रहे हैं. ये हमारी पुरानी आदत है जिसे हम छोड़ना नहीं चाहते. मेरा यही प्रयास रहेगा की हम असलियत का सामना करना और अपने प्रति होने वाले अन्याय का प्रतिकार करना सीख जाएँ, यदि एक कदम भी कहीं उठा तो मै स्याम को धन्य मानूंगी.
Wednesday, February 19, 2014
ठण्ड का कहर ...
आज पूरी दुनिया में बर्फ़बारी ने जिस तरह से हिमयुग कि दस्तक कैसी हो सकती है …?? का एहसास करवाया है वह शरीर में सिरहन पैदा कर गया है , यदि वास्तव में ऐसा हो गया .... ?? तो क्या होगा …?? अब सोचने का वक्त आ गया है कि प्रकृति के साथ जो खिलवाड़ हमने किया है उसका खामियाजा तो हमें ही भुगतना होगा।
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आपकी इस प्रस्तुति का लिंक 20-02-2014 को चर्चा मंच पर प्रस्तुत किया गया है
ReplyDeleteआभार
ReplyDeleteब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन सांसद बनना हो तो पहले पहलवानी करो - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
ख़ूबसूरत तस्वीरों और मौसम की विभीषिका के माध्यम से छोटे-छोटे वक्तव्यों के माध्यम से बहुत सार्थक बातें कही हैं!! बहुत सुन्दर!!
ReplyDeleteख़ूबसूरत ख़ूबसूरत ख़ूबसूरत
ReplyDeleteखूबसूरत तस्वीर ......
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